Tuesday, October 20, 2009

हम सब एक हैं

हम सब एक हैं
ग्वालियर में नईदुनिया के तीन पत्रकारों -ब्रजमोहन शर्मा ,अर्पण राउत एवं कपिल शर्मा के साथ बदमासों द्वारा की गई मारपीट और जानलेवा हमले के मामले में किसी पत्रकार ने बहुत ही ग़लत जानकारी दी है .एक तो ग्वालियर में ऐसी कोई चर्चा नहीं है की ये लोग बसूली करने गए थे .सारा शहर जनता और मानता भी है कि ये तीनो पत्रकार न केवल इमानदार है बल्कि सिर्फ़ और सिर्फ़ पत्रकारिता करते है .इतना ही नहीं ग्वालियर के सभी अख़बारों नें इस ख़बर को लगातार प्रमुखता से छापा बल्कि पुलिस अफसरों से लगातार संपर्क रखा .जिस किसी भी पत्रकार को पता चला वह ठाणे पंहुचा ,त्यौहार होने के बावजूद कई पत्रकार रात भर थाने में बैठे रहे .इससे ज्यादा एकजुटता और कहाँ मिलेगी

Saturday, May 9, 2009

विमोचन

ख़बरों का खुलासा
ग्वालियर के बरिष्ठ पत्रकार राकेश अचल की किताब 'ख़बरों का खुलासा 'का बिमोचन हुआ यह आयोजन अचलजी की ५० बी वर्षगांठ पर हुआ वे उत्तरी ऍम .पी । के नामी पत्रकार हैं और गजब की लेखन शैली के धनी भी इस किताब में उन्होंने पत्रकारिता जीवन में कार्य के दोरान हुए अनेक सनसनीखेज बक्यों को रोमांचित कर देने वाले अंदाज़ में लिखा है इसके एक किस्से पर बी.जे.पी के बरिष्ठ नेता श्री शीतला सहाय ने उन्हें नोटिस भी भेजा है जबाब में अचलजी ने पूरी पुस्तक पड़ने की सलाह बहरहाल ख़बरों का खुलासा नए पत्रकारों को ज्ञानदेगी और पुरानो की यादों को ताज़ा करेगी अचलजी को जन्मदिन और नयी किताब की मुबारकबाद

Thursday, February 21, 2008

लाल गेहू के भूत ने कांग्रेस को घेरा

भारत सरकार द्वारा अलग अलग योजनाओ के तहत ग्रामीणों को दिए जाने वाले सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत दिए जाने वाले लाल गेहू का भूत कांग्रेस का पीछा ही नही छोड़ रहा । मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुछ दिन पहले भोपाल मे एफ सी आई के गोदाम पेर छापा मार कर मीडिया के सामने केन्द्र सरकार पर निशाना साधकर आरोप लगाया था की गरीबो को जो लाल गेहू दिया जा रहा है वह खाने योग्य नही है । सुरेश पचौरी प्रदेश कांग्रेस बनकर भोपाल पहुचे तो उनोहने पलट वार किया की चौहान ग़लत बोल रहे है । लेकिन २१ फेरबरी को केंद्रीय सूखा राहत दल ग्वालियर के गाँव मे nईरिक्षण करने पंहुचा तो गाँववालो ने लाल गेहू मिलने की शिकायत की .पहले तो दल के सदस्यों ने इस बात को ग़लत माना लेकिन जब गाँव वालो ने गोदाम मे जाकर वह घटिया लाल गेहू उन्हें दिखा दिया तो बेचारे अफसर निरुतर हो गए। चुनाव के साल मे यह लाल गेहू कही कांग्रेस के लिए मुसीबत न बन जाए ।

Monday, February 18, 2008

ग्वालियर में तीन नए अखबार

ग्वालियर में तीन नए अखबारों के शुरू होने की सुगवुगाहट है! एक अखबार तो भोपाल बेस्ड " राज एक्सप्रेस " जल्द ही ग्वालियर से शुरू होने वाला है! यूँ उसका ग्वालियर संस्करण छप ही रहा है ! दो और दैनिक अखबार रियल स्टेट में पैसा कमा चुके कुछ नव कुबेर शुरू करने वाले हैं ! पत्रकार जगत में खूब चर्चा है कि कौन - कौन कहाँ जा रहा है !

ग्वालियर में जन्मे पत्रकार ध्यान दे!

ग्वालियर विकास प्राधिकरण, ग्वालियर में पत्रकार कालोनी विकसित कर रही है! न्यू सिटी सेंटर में प्रस्तावित इस कालोनी में तय प्लोट्स में से दस प्रतिशत ऐसे पत्रकारों के लिए आरक्षित किया गया है जिन्होंने अपनी पत्रकारिता की यात्रा ग्वालियर में शुरू की लेकिन आज देश में अन्यत्र कार्यरत है ! शर्त ये कि उन्होंने पहले कभी ऐसी योजना का लाभ नहीं लिया है ! पंजीयन चल रहा है ! जल्दी करें !

Tuesday, February 12, 2008

एक पत्रकार अभी जीवित है !

पत्रकार - मीडियाकर्मी और नेताओं के बीच के रिश्ते पर एक भयानक त्रासदी है ! जब पत्रकार भ्रष्ट नेता के भ्रष्टाचार की पोल खोलता है तो ! नेता यह बात दबाने के लिए पहले पैसा फेंकता है ! धमकाता है ! नौकरी से निकलवाता है! यदि ये प्रयास सफल नही हुए तो फिर उत्तराखंड के युवा पत्रकार स्व डोभाल की तरह उसे मौत के घाट उतरवाता है ! इसके ख़िलाफ़ साथी पत्रकार पहले एकजुट होते है ! फिर विज्ञापन/ प्रलोभन का तेज झोंका आता है तो वे पीड़ित मृत पत्रकार को ब्लेकमेलर बताते हुए खबरें गढ़ते हैं!

मध्यप्रदेश के गुना में फिर ऐसी कहानी दोहराई गई ! यहाँ एक नेता के खिलाफ गड़बड़ झाला की आवाज बुलंद करने की सजा वहाँ के एक दैनिक समाचार पत्र के पत्रकार को जानलेवा हमले के रूप में भुगतना पड़ी ! पत्रकार की इतनी पिटाई की गई की पाँव की हड्डी 18 जगह से टूट गई! डॉ. का मानना है कि यह पत्रकार कभी भी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पायेगा

दूसरे दिन घटना के विरोध में सभी पत्रकार कलेक्टर से मिले! तीसरे दिन नेता जी ने पत्रकारों को सेट किया! उसके बाद ज्यादातर अखवारों ने छापा दुनिया का सबसे ज्यादा चोर उनका यानी पत्रकारों का ही साथी था ! नेता जी जैसे संत ने तो हमारे तालाब की यही मछली को मारकर तालाब के साफ करके चोथे स्तम्भ पर उपकार ही किया है! बेचारी पुलिस कह रही है कि हमने आरोपी पकड़ लिए है ! फरियादी का क्या ? वे नेता जी का हाथ होने से मना कर रहे हैं अब हम आरोपी कि बात मानेंगे या फरियादी की ! कहो खूब रही न जब चोर कह रहा मैंने चोरी नहीं कि तो भला फरियादी कि क्या विसात कि वह चोर को पकड़वा सके ! आप कहो तो कहो में नहीं कहता कि चोर चोर मोसेरे भाई इसी को कहते हैं !